बच्‍चों के लिए पढ़ाई से ज्‍यादा जरूरी है खेलकूद

बच्‍चों के लिए पढ़ाई से ज्‍यादा जरूरी है खेलकूद

सेहतराग टीम

अपने बच्‍चों को समाज के अनुकूल बनाने के लिए भले ही हम एक तयशुदा ढर्रे पर अपने बच्‍चों को कम उम्र से ही डाल देते हैं और उनके लिए किताबों को सबसे ज्‍यादा जरूरी साबित करते रहते हैं मगर ये बात अब साफ हो चुकी है कि बच्‍चों के लिए पढ़ाई लिखाई से ज्‍यादा जरूरी है खेल-कूद में वक्‍त देना। बच्चों के मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य को दुरुस्‍त रखने के लिए बच्‍चों का खेलना जरूरी है। इसलिए ये जरूरी है कि हम अपनी उस पुरानी मानसिकता को बदलें जिसके तहत पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब और खेलोगे कूदोगे तो बनोगे खराब का नारा रटाया जाता था।

बच्‍चों के मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़ी इस महत्‍वपूर्ण बात के बारे में दुनिया के विख्यात शिक्षाविद् पीटर ग्रे कहते हैं कि बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए शैक्षणिक प्रशिक्षण के बजाय खेलकूद कहीं अधिक बेहतर हैं।

ग्रे अमेरिका के बोस्टन कॉलेज में मनोविज्ञान के रिसर्च प्रोफेसर हैं। उन्होंने कहा, ‘पारंपरिक रूप से हम खाली समय में खेलते हैं लेकिन यह उससे कहीं बढ़कर है और यह बच्चों के संपर्क विकास के लिए अहम है।’

उन्होंने हाल में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में कहा कि खेलकूद रचनात्मकता के स्तर को बढ़ाता है क्योंकि इसमें कल्पनाशीलता के कुछ तत्व होते हैं। ग्रे ने बचपन में खेलकूद के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि बच्चों को खेलकूद से रोकने के लिए शैक्षणिक प्रशिक्षण कोई बहाना नहीं हो सकता है क्योंकि इससे उनके द्वारा खुद से पसंद किए जाने और खुद से खेले जाने वाले खेलों के सीखने का मौका दूर हो जाता है।

उन्होंने कहा, ‘बड़ों को यह समझना चाहिए कि वे बच्चों को एक निश्चित तरीके से शिक्षित करने की सोचते हैं लेकिन बच्चे आम तौर पर अपने आस-पास की चीजों का अवलोकन कर, अपने तरीके से दुनिया को देखकर सीखते हैं।’ ग्रे के न्यूरोएंडोक्रायोनोलॉजी, डेवलपमेंटल साइकोलॉजी, एंथ्रोपोलॉजी और शिक्षा के विषय पर शोध प्रकाशित हुए हैं।

 

 

 

 

 

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